saritkriti
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हो अगर हौसलों में दम,
बुलंद हो अगर इरादे ,
तो मंज़िले खुद – बख़ुद,
चुमते है कदम ।
जांबाज सिपाही कि तरह ,
जिगर मे हो साहस ,
चील कि तरह दुर्दशिता ।
तिक्ष्न निगाहें ,
हर मकसद को पुरा ,
करने का हो जुनून ।
असंभव शब्द पिटारे में नहीं ,
उनकी कश्ती मंजिल पर हि रुकती है ।
हो अगर हौसलों में दम ,
इरादे हो मज़बूत,
जमीन तो जमीन ,
आसमान को भी भेदते हैं ।
इरादों में हो लहक ,
कुछ कर गुजरने की हो ललक , .
हर मंजिल आसान हो जाती है ।
ज़िंदगी का सफर कुछ खास हो जाती है ।
सरिता प्रसाद
9-04-2017
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